Last modified on 1 नवम्बर 2019, at 20:17

सपने / बीना रानी गुप्ता

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:17, 1 नवम्बर 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बीना रानी गुप्ता |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

खुली आँखों से
सपने देखना आसान नहीं होता
कलम में स्याही न हो
कोरा कागज न हो
लिखे को पढ़ना आसान नहीं होता..

खाली पेट
खुले आसमान में सोना
आसान नहीं होता
धुंधली स्लेट पर
चाक से अक्षर-अक्षर लिखना
आसान नहीं होता
काँधे पे थैला लटकाए
कूड़े से रोटी लाना
आसान नहीं होता..

धुँध से धुँधलायी सड़कों पर
रास्ता ढूँढना आसान नहीं होता
सर्द सुबह जगना
प्लेटफार्म पर
इधर-उधर भटकते हुए
चाय-चाय चिल्लाना
आसान नहीं होता..

सपनों के फूलों से
झोली भरना
मुरझाने से बचाना
आसान नही होता।