सुण!
बखत रा महताऊ कवियां
या तो चौराऐ माथै
बिलखतां ढब्बू लियोडा़ं
टाबरां माथै हिंयों भरणियां
आखर लिख'र
कविता बणाणी छोड़ द्यौ
अर नींतर आथण रै
कवि-जलसै सूं
निकलतां थकां
रामबाग चौराए माथै
आपरी कार रा शीशा
खोल दिया करौ।
सुण!
बखत रा महताऊ कवियां
या तो चौराऐ माथै
बिलखतां ढब्बू लियोडा़ं
टाबरां माथै हिंयों भरणियां
आखर लिख'र
कविता बणाणी छोड़ द्यौ
अर नींतर आथण रै
कवि-जलसै सूं
निकलतां थकां
रामबाग चौराए माथै
आपरी कार रा शीशा
खोल दिया करौ।