डगरी-डगरी राधा खोजइ हे
केने बजाइ बाँसुरी के सुरवा हो ना
खोजइ-खोजइ गिरइ मुरछाईं।
श्याम भेलइ डुमरी के फुलवा हो ना ।।
नीरऽ पीरऽ सुखवा अर्पित करइ हे।
दिये देहो चरनन के धुलवा हो ना ।।
धुरिया बनइ हे अंग भभूतऽ।
हिया झूलइ एके झुलनमा हो ना ।।
डगरी-डगरी राधा खोजइ हे
केने बजाइ बाँसुरी के सुरवा हो ना
खोजइ-खोजइ गिरइ मुरछाईं।
श्याम भेलइ डुमरी के फुलवा हो ना ।।
नीरऽ पीरऽ सुखवा अर्पित करइ हे।
दिये देहो चरनन के धुलवा हो ना ।।
धुरिया बनइ हे अंग भभूतऽ।
हिया झूलइ एके झुलनमा हो ना ।।