Last modified on 23 जनवरी 2020, at 20:23

बापू / बालस्वरूप राही

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:23, 23 जनवरी 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बालस्वरूप राही |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

दो अक्टूबर, तीस जनवरी,
ये दोनों दिन रखना याद।

एक जन्मदिन है बापू का,
दूजा बलि हो जाने का,
दोनों ही दिन प्रण दुहराना
घर-घर जोत जगाने का।

बापू के सपनों का भारत
हम को करना है आबाद।

राजघाट पर जाकर हम को
अपना शीश झुकाना है,
बड़े लोग भूले बापू को
उनकों याद दिलाना है।

जो हैं मुक्त घृणा, से छल से,
वह ही है सचमुच आजाद।