एक रात / बालस्वरूप राही

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एक रात पिंकी ने देखी बड़ी अनोखी बात,
जहाँ जहाँ वह जाए, चंदा चलता जाए साथ।

आँख नचा कर, मुँह मटका कर उसे रहा था छेड़,
चलते चलते तभी राह में एक आ गया पेड़।

उस में अटक गया यों चंदा जैसे कटी पतंग,
मुँह बिचका कर बोली पिंकी- “अब कर ले ना तंग!”

भूल गई यह पिंकी रानी हो कर भाव- विभोर :
चाँद घूमता ही रहता धरती के चारों ओर।

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