Last modified on 24 जनवरी 2020, at 14:59

कणकणवासी / सरोज कुमार

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:59, 24 जनवरी 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सरोज कुमार |अनुवादक= |संग्रह=सुख च...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मन्दिर में मुझे कई बाते याद आई!
प्रणाम की मुद्रा में
शर्माजी का कुत्ता भी याद आ गया!

ईश्वर मुझे क्षमा करना!
वैसे, अगर तू कण-कण में व्यापत है
तो शर्माजी के कुत्ते में भी होगा
फिर कैसा अफसोस, उसके याद आने में!

हे कणकणवासी!
अगर तू कुत्ते नहीं हुआ,
तो पत्थर में भी तेरे होने का
कौन भरौसा!