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माँ / हरेराम बाजपेयी 'आश'

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प्रेरणादायी
आदर्श निर्मार्त्री
सन्मार्ग प्र्दर्शिका
अप्रितम शिक्षिका
प्रकाश पुञ्ज
केवल माँ हो सकती है।
माँ का आशीष
बन जाता है वरदान
कालजयी तपस्विनी
ममता धीरता गंभीरता
स्नेह और त्याग की मूर्ति
केवल माँ हो सकती है।

सृष्टि के लिए ब्रह्मा,
पालन के लिए विष्णु
कल्याण के लिए शिव
जाने-जाते है
पर माँ तो त्रिदेव से भी महान है,
उसमें सत्यं शिवम से भी महान है,
उसमें सत्यं शिवम-सुन्दरम
सभी गुण विराजमान है,
सब कुछ देकर
कुछ भी न चाहने वाली
जन्मदात्री पुज्या
केवल माँ हो सकती है।