ओम जगतमयी मंगल करना, हे दयामयी करुणा करना,
अशांत जगत की धारा को, निज स्नेह सिक्त वसुधा देना,
ओ जगतमयी...
जन-जन के मानस में आकर, सब पर अमृत वर्षा करना,
ओ जगतमयी ...
आपस के तुक्ष्य विचारो से, हम सबकी माँ रक्षा करना,
ओ जगतमयी...
जो भटक गये है राहों से, पथ उनका अवलोकित करना
ओ जगतमयी मंगल करना, हे दयामयी करुणा करना।