मुझे आज अगर कोई पूछे
मेरे होने की वजह
मेरे होने का वजूद
आँखें बंद कर मैं ऊपर की ओर इशारा कर दूँ
तुम्हारा प्यार, तुम्हारा ख्याल
और बस तुम्हारा मेरे करीब होना
यही मेरे होने की वजह हैं
और
इन्हीं में मेरा वजूद
ख़ुद को ढूँढा है मैंने, तुममें विलीन हो कर
ख़ुद तक पहुँचा हूँ गर मैं, तो
तुम्हारी आँखों के रास्तों से हो कर
तुम्हारी आहटें
तुम्हारे इशारों के साये
वो नर्म नजरों का स्पर्श
हर पल मुझको मुझसे रूबरू करवातें हैं
मेरी रातों को मेरे और करीब लाते हैं
मेरे सपनों के ताने बाने में तुम हो
मेरी शामों में मेरी सुबहों मेरे अरमानो में तुम हो
या यूँ कहूँ के तुमसे मैं हूँ
पर क्या मुझसे तुम हो?
जवाब दो?