अमावस / अंशु हर्ष

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खुले आसमान के नीचे बैठ
अभी ख्याल आया
तुम्हें कहुँ ....
मुझे आज का चांद चाहिए
तलाशा आसमान में
फिर याद आया
आज अमावस है ....
बस ऐसा ही होता है अक्सर ....
हर चाहत के साथ ...

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