फ़लक पर पूरा चाँद
जब मेरी खिड़की के रास्ते
चाँदनी बिखेरता है मेरे आँगन में
मन करता है उस चाँदनी को
कलम में भर कर
एक नज़्म तुम्हारे नाम लिखूं
फ़लक पर पूरा चाँद
जब मेरी खिड़की के रास्ते
चाँदनी बिखेरता है मेरे आँगन में
मन करता है उस चाँदनी को
कलम में भर कर
एक नज़्म तुम्हारे नाम लिखूं