शरद के एकांत शुभ्र प्रभात में हरसिंगार के सहस्रों झरते फूल उस आनंद सौन्दर्य का आभास न दे सके
जो
तुम्हारे अज्ञात स्पर्श से असंख्य स्वर्गिक अनुभूतियों में मेरे भीतर बरस पड़ता है !
शरद के एकांत शुभ्र प्रभात में हरसिंगार के सहस्रों झरते फूल उस आनंद सौन्दर्य का आभास न दे सके
जो
तुम्हारे अज्ञात स्पर्श से असंख्य स्वर्गिक अनुभूतियों में मेरे भीतर बरस पड़ता है !