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इंद्रिय प्रमाण / सुमित्रानंदन पंत

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शरद के रजत नील अंचल में पीले गुलाबों का सूर्यास्‍त कुम्‍हला न जाय,- वायु स्‍तब्‍ध... विहग मौन ... !

सूक्ष्‍म कनक परागों से आदिम स्‍मृति सी गूढ गंध अंत में समा गई !

जिस सूर्य मंडल में प्रकाश कभी अस्‍त नहीं होता, उसकी यह कैसी करूण अनुभूति,- लीला अनुभव !