Last modified on 4 सितम्बर 2008, at 18:33

इंद्रिय प्रमाण / सुमित्रानंदन पंत

Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:33, 4 सितम्बर 2008 का अवतरण

शरद के
रजत नील अंचल में
पीले गुलाबों का
सूर्यास्‍त
कुम्‍हला न जाय,-
वायु स्‍तब्‍ध...
विहग मौन ... !

सूक्ष्‍म कनक परागों से
आदिम स्‍मृति सी
गूढ गंध
अंत में समा गई !

जिस सूर्य मंडल में
प्रकाश
कभी अस्‍त नहीं होता,
उसकी यह
कैसी करूण अनुभूति,-
लीला अनुभव !