Last modified on 1 अप्रैल 2020, at 20:10

शीतलता / प्रदीप कुमार

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:10, 1 अप्रैल 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रदीप कुमार |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

जेठ की भीषण
तपती दोपहरी में
लीप रही है घर को
दीवारों को
छत को
मिट्टी की ठण्डक से
अपनी जर्ज़र देह को
सूरज की आंच में तपाकर
ताकि दे सके
अपने बालकों को जीवनदायी शीतलता।