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जबसे झलका प्यार तुम्हारा मीठी बातों में / रंजना वर्मा

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जब से झलका प्यार तुम्हारी मीठी बातों में।
दीवाली के दीप जल उठे मेरी आँखों में॥

पा तेरा स्पर्श फुलझड़ी
हुई हमारी देह,
टूट गए बंधन समाज के
छूटा अपना गेह।

सपनों का संसार सजा पलकों पर रातों में।
जब से झलका प्यार तुम्हारा मीठी बातों में॥

मेहंदी रची हथेली जावक
रचते कंचन पाँव,
बंजर धरती हरी हो गई
मधुबन मन का गाँव।

मुस्काई छवि जब-जब मेरी महकी साँसो में।
दीवाली के दीप जल उठे मेरी आँखों में॥

खील बताशों की खिल-खिल
होती मन के आँगन,
लक्ष्मी पूजन सदृश तुम्हारा
ही होता अर्चन।

दिल की धड़कन में वंदन चंदन उच्छ्वासों में।
जब से झलका प्यार तुम्हारा मीठी बातों में॥