Last modified on 5 अप्रैल 2020, at 20:56

आँखें / लक्ष्मी खन्ना सुमन

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:56, 5 अप्रैल 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लक्ष्मी खन्ना सुमन |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

जरा हठीली, ज़रा चुलबुली बतियातीं आँखें
बच्चों की कितनी सुंदर है मुस्काती आँखें

जो ये करती काम निराला, कोई न कर पाए
दृश्य सुहाने कई तरह के दिखलातीं आँखें

हरे-भरें मैदां में अच्छे खेल खिलाती हैं
चित्र सजीले रंग-बिरंगे बनवातीं आँखें

जीवन में आगे बढ़ने की दिखलाती राहें
कई तरह की कई किताबें पड़वाती आँखें

दुःख तकलीफ़ें भी जब आती हैं इस जीवन में
रो-रो साथ निभाने आँसू बरसातीं आँखें

दिन-भर करके काम थके लोगों का मनभावन
मीठी-मीठी नींद निराली सुलवातीं आँखें

जीवन के झिलमिल चित्रों के रंगों में बसकर
'सुमन' सरीखे स्वप्न सुहाने दिखलातीं आँखें