Last modified on 9 अप्रैल 2020, at 22:42

आस्था / ओम व्यास

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:42, 9 अप्रैल 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ओम व्यास |अनुवादक= |संग्रह=सुनो नह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

प्रेम की बहुत छोटी बूंद का विस्तार है
आस्था
जो नहीं मिलती है बाज़ारों में
छीना भी नहीं जा सकता जिसे
प्राथना पर किसने पाया है इसे?
'आस्था'
प्रेम का गाढ़ा रंग है
यह जब चढ़ जाता है
'मनुज' पर तब वह
'देव' होने की प्रक्रिया में बढ़ जाता है।
'देव'
जो भावना-स्नेह-विश्वाश-समर्पण
के सतम्भों पर आश्रित है
और
सबके लिए ज़रूरी है आस्था कि जमीन।