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तपन / ओम व्यास

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चल रहा हूँ
मंजिल की तलाश में,
यादों की पगडंडी के सहारे,
प्यार के दरख्त की छाँव में,
जब कभी सुस्ताना चाहता हूँ,
झड़ जाया करते हैं–पत्ते
मिलती है
फिर वही जुड़ाई की तपन।