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नन्हें फूल / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ

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हम हैं प्यारे नन्हें फूल
मुसकाना, खिलना ही सीखा
कभी न करते कोई भूल
सर सर-सर जब हवा डोलती
झूम झूम गा उठते गीत
हमें देख गाने लगते हैं
उड़ते पंछी प्यारे मीत
चन्दन सी लगती है हमको
भारत भू की प्यारी धूल
इसकी गंध नहीं छोड़ेंगे
चाहे चुभे हजारो शूल