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मुरगी / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ

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मुरगी बोली मुरगे से
क्यों तुमने बांग लगाई
जगना पड़ा मुझे भी जल्दी
छोड़ी गरम रज़ाई
मुर्गा बोला अरी जाग जा
घर का काम शुरू तो कर ले
सोने की कोशिश भी मत कर
अपना पाठ याद तू कर ले
सोना जल्दी जगना जल्दी
यह भी याद नहीं है क्या
मेरी बांग सभी को भाती
यह भी याद नहीं है क्या
मुरगी ने सुनकर ये बातें
करदी शुरू पढ़ाई
पढ़कर बीए पास हो गई
डिग्री भी फिर उसेन पाई