महा—काव्य से बड़ी विधा तो
शब्दों से बाहर है प्रियवर
जंगल आग नहीं बुझ सकती
केवल कविता का जल लेकर
जन—संघर्ष की महानदी को
बीच आग के लाना होगा
नयी विधा पाने की ख़ातिर
अपना तन झुलसाना होगा
जंगल की इस आग से लड़ना
अपने युग का महासमर है
कवितामें रन—कौशल रचने—
का यह बहुत बड़ा अवसर है
कविता का यह कठिन समय है
इसकी अग्नि—परीक्षा होगी
आने वाले कल के कवि की
महा समर में दीक्षा होगी.