Last modified on 16 मई 2020, at 21:53

सीताजी / रामदास

Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:53, 16 मई 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= रामदास |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} {{...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


सीता सुन्दरी छन् भनी सकलले
भन्थ्या र (त) देखिउँ पनी ।
नाक उच्चो कटि (ति) पातलो शरिरमा
रौं नास्ति (हिं) कत्ती पनी ।।
थोरै माथि (मात्र) कपालमा उन (हि)
सुन्निन् ता दुख माननिन् सगिनि है (हो)
कुन तुछय पुच्छर् नहि (पुच्छर त नाहीं बुची)

[‘वनका फूल’ बाट]
‘बुइँगल’ बाट साभार