कौन फेंकता है
पत्थर
मेरे मौन में...
कौन चाहता है
मेरा
आवाज़ हो जाना...
कौन चाहता है
शोर
व्यवस्था के
इस जलते जंगल में...
पूछते हो कौन..?
स्वयं के अतिरिक्त
कब
किसने
उठाया है प्रश्न
अपने पुंसत्व पर..?
कौन फेंकता है
पत्थर
मेरे मौन में...
कौन चाहता है
मेरा
आवाज़ हो जाना...
कौन चाहता है
शोर
व्यवस्था के
इस जलते जंगल में...
पूछते हो कौन..?
स्वयं के अतिरिक्त
कब
किसने
उठाया है प्रश्न
अपने पुंसत्व पर..?