पेड़ पौधों से
हमारी अनबन हो गई है
विकास की
यह कैसी
हवा बह गई है
नदियों को
छोड़ दिया है
हमने बेपरवाह...
प्लास्टिक, कूड़े-कचरे
और रसायनिक मलबों के लिए
भगीरथ के वंशजों से जाने
कैसी गुस्ताखी हो गई?
पेड़ पौधों से
हमारी अनबन हो गई है
विकास की
यह कैसी
हवा बह गई है
नदियों को
छोड़ दिया है
हमने बेपरवाह...
प्लास्टिक, कूड़े-कचरे
और रसायनिक मलबों के लिए
भगीरथ के वंशजों से जाने
कैसी गुस्ताखी हो गई?