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क्षमा याचना / कुलानन्द मिश्र

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हमरा मोनक निभृत एकान्त मे
गुलाब-सन सुन्नर सुकुमार
एकटा फूल फुला क'
ठोढ़ भरि बिहुँसैत अछि
जी भरि रभसैत अछि
हमर डेरायल इच्छा अछि
जे ओ फूल
हम अहाँक कमनीयता केँ
आवेशपूर्वक अर्पित करी
अहाँ केँ
मात्र स्वीकार करबाक कष्ट उठाब' पड़त
एहि लेल क्षमा-याचना संगहि निवेदित अछि।