Last modified on 13 जून 2020, at 13:18

हम फिर से आएंगे / एस. मनोज

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:18, 13 जून 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=एस. मनोज |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <p...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

हम आएंगे फिर से
इस जनम मे
सजाते रहे पृथ्वी
और अब
अगले जनम की तैयारी।
फिर सजाने आएंगे
लेकिन उससे पहले
जो दूसरे इस काम में लगे हैं
उनके लिए खाद बन जाएंगे
बीज फिर से निकल आएंगे
और अपने दम पर
इस बसुधा को महकाएँगे।