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हैसियत / नेमिचन्द्र जैन

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दरज़े दो ही हैं

दूसरा पहला

खचाखच भरा है दूसरा

पहले में नहीं है भीड़

मारामारी


कहाँ है तुम्हारी जगह

कोशिश कर सकते हो तुम

चढ़ने की

पहले दरज़े में भी

यदि हो वहाँ आरक्षण

तुम्हारे लिए

भागकर जबरन चढ़ोगे

तो उतारे जाओगे

अपमान, लांछन

मुमकिन है सज़ा भी

घूस देकर टिके रहो शायद

अगर यह कर सको


मुमकिन पर यह भी तो है

जिसे तुम समझे थे पहला

वह दूसरा ही निकले

धक्कम-धक्के / शोर-शराबे से भरा

वहाँ भी / क्या भरोसा

जगह तुम्हें मिले ही

कोई और बैठा हो तुम्हारी जगह

बेधड़क, रौब के साथ

ताकत से

या किसी हिकमत

चतुराई से

सूझबूझ के बल


बहरहाल

तुम्हारे लिए

शायद नहीं है

कोई जगह कहीं भी

कुछ भी तुम करो

हैसियत तुम्हारी

है

रहेगी

बेटिकट यात्री की।