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नदी / श्रीधर करुणानिधि

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एक बहती नदी में
क्या है जो बहता है ....
एक बहती नदी में ही
क्या है जो अक्सर कुछ कहता है
हमारी नज़रों में भले ही न आए
उसकी दुबली होती देह से निकलकर
कुछ है जो हमारे साथ रहता है ...

एक बहती नदी भी ठूँठ हो सकती है
चलते-चलते अचानक
ठहर सकती है घड़ी की तरह
एक बहती नदी भी बुझ सकती है दीए की तरह
एक बहती नदी भी डूब सकती है बालू के जंगल में...

हमें पुकारते-पुकारते थक भी तो सकती है
एक बहती नदी ...।