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! / सुमन पोखरेल

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! अथ अद्भुत अघोर आश्चर्य !

भव भोकले भग्न
नागरिक नित्य नग्न !

वृहद् विशाल विष्मय !

अपर्झट अगाडि आगोझैँ, अथवा
असिनाझैँ अचानक अगाडि,
जनता जाग्छ जुरुक्क जरामा
टक्टक्याउन टपरटुइँया टाउकेको टाउको ।

राज्य रातो रगतझैँ र
शासक सन्काहा स्वाँठ
कुण्ठित क्रुर कुल्च्याइ !

प्रतिरोध, प्रतिरोध, प्रतिरोध !
 
शासित सडकमा शहिद !

धरधर धर्मराउँछ धरमर धरती
पुनरावृत्ति पुनरावृत्ति पुनरावृत्ति !

अहो !
 
इति, इति, इति !
आश्चर्य इति !!
इति आश्चर्यः !!!