Last modified on 18 जून 2020, at 17:56

किस पे ये ग़म असर नहीं / हस्तीमल 'हस्ती'

Abhishek Amber (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:56, 18 जून 2020 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

किस पे ये ग़म असर नहीं करते
फ़िक्र लेकिन शजर नहीं करते

हम बदलते नहीं हवा के साथ
हम पे मौसम असर नहीं करते

एक सूरज बहुत ज़रूरी है
चाँद - तारे सहर नहीं करते

उन गुलों में महक नहीं आती
ख़ारों में जो बसर नहीं करते

रोने का भी सलीका होता है
अपने दामन को तर नहीं करते