Last modified on 30 जून 2020, at 22:37

तुम उससे प्यार नहीं करना / कमलेश द्विवेदी

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:37, 30 जून 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कमलेश द्विवेदी |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

सबसे इक़रार नहीं करना सब पर एतबार नहीं करना।
जो कोई तुमसे कर न सके तुम उससे प्यार नहीं करना।

सारे फूलों में गंध नहीं
होता सबमें मकरंद नहीं।
लगते हैं अच्छे सब लेकिन
सबसे जुड़ते सम्बन्ध नहीं।
निर्गन्ध फूल का हार मिले उसको स्वीकार नहीं करना।
जो कोई तुमसे कर न सके तुम उससे प्यार नहीं करना।

ये प्यार नदी की धारा है
इसका जल मीठा-प्यारा है।
जो कोई इसमें डूब गया
वो पाया नहीं किनारा है।
जब तक न समझना गहराई तुम नदिया पार नहीं करना।
जो कोई तुमसे कर न सके तुम उससे प्यार नहीं करना।

सीता-रघुनन्दन से सीखो
राधा-यदुनन्दन से सीखो।
तुम प्यार अगर करना चाहो
मीरा से मोहन से सीखो।
ऐसा रिश्ता मिल जाये तो उससे इंकार नहीं करना।
जो कोई तुमसे कर न सके तुम उससे प्यार नहीं करना।