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आईस-पाईस / दीपक जायसवाल

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एक बच्चा दस तक गिनती करता है
बाकी सब छिपते हैं
फिर वह दौड़ता है उन्हें खोजने
यदि वह सबको खोज लेता है
तब वह मुक्त हो जाता है
निर्वाण के लिए
प्रेम, इंसानियत, देवता, डायनासोर
सब छिपे
इस इंतज़ार में कि हम आयेंगें
और उन्हें खोज लेंगें
लेकिन तब तक हम बड़े हो चुके थे
हमारे पास और भी बड़े-बड़े काम थे
करने को।