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ज़रा तुम बदलते / विकास

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ज़रा तुम बदलते
मेरे साथ चलते

जो होती शराफत
न ऐसे उछलते

अगर मोम होते
कभी तो पिघलते

कड़ी धूप में भी
बराबर निकलते

ख़ुदी हैं मदारी
ख़ुदी से बहलते