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धर्म / सुरेश बरनवाल

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धर्म की अफीम
उगाते रहे
खिलाते रहो।

यह नशा बहुत जरूरी है
उनके लिए
जिनका पेट कूकता है
जिनके शब्दों में भंवर उठते हैं।

नशे में पलने वाली नस्लें
कभी प्रश्न नहीं करती
और तुम
धर्म के
विकास के
झूठे गीत
हमेशा गा सकते हो