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नेत्र सिंह असवाल / परिचय

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नाम : नेत्रसिंह असवाल़
2.माता का नाम : स्व.जौहरी देवी असवाल़
3.पिता का नाम : स्व. विक्रमसिंह असवाल़
4.जन्मतिथि: 10 दिसम्बर, 1958
5.शैक्षिक योग्यता : कला स्नातक(दिल्ली विश्वविद्यालय)
6. गांव का पता : ग्राम तछवाड़,पट्टी जैंतोलस्यूं, चौंदकोट, डाकघर पाटीसैण, जिला पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड

7. दिल्ली-एनसीआर में निवास का पता : ई/343-ए, एम.आई.जी.फ्लैट्स, निकट कैप्टेन गैस एजेंसी, प्रताप विहार, ग़ाज़ियाबाद, उ.प्र.-201009.


8. सेवारत/सेवानिवृत्त: विधि कार्य विभाग, विधि और न्याय मंत्रालय, भारत सरकार से सहायक निदेशक/राजभाषा के पद से सेवानिवृत्त(2018 में)

9. प्रकाशित पुस्तकें : 1. धै (कविता संकलन--अन्य सात कवियों के साथ) (1980 में); और 2. ढांगा से साक्षात्कार(कविता संग्रह) (1988 में) ।


10. सम्मानित पुस्तकें : एक( 'ढांगा से साक्षात्कार' पर जयश्री ट्रस्ट, देहरादून का वर्ष 1991 का जयश्री सम्मान )


11. संस्थाओं द्वारा सम्मान : 1. जयश्री ट्रस्ट, देहरादून द्वारा गढ़वाल़ी कविता का जयश्री सम्मान,1991( कविता संग्रह 'ढांगा से साक्षात्कार' पर); और
2. पहाड़ी सोल, दिल्ली द्वारा श्री चंद्रसिंह 'राही' सम्मान, 2019.


 अन्य उपलब्धियां:
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(क) अन्य प्रकाशित रचनाएं


(१) नब्बे के दशक में कुछ हिंदी और गढ़वाल़ी पत्र-पत्रिकाओं में गढ़वाल़ी और हिंदी में कुछ व्यंग्यचित्र भी प्रकाशित;
(२)मुद्रक और फोटोकार साथी (स्व.) नत्थीप्रसाद सुयाल़ द्वारा वर्ष 2010 में प्रकाशित बहुरंगी बहुपर्णी हिंदी-गढ़वाल़ी कैलेंडर में गढ़वाल़ी और हिंदी में कापी राइटिंग; और
(३). कुछेक गढ़वाल़ी रचनाओं के हिंदी अनुवाद हिंदी की पत्र-पत्रिकाओं/पुस्तकों में भी प्रकाशित हुए ।

(ख). संपादन-कार्य:


(१). साथी (स्व.) विनोद उनियाल़ के साथ दिल्ली से वर्ष 1979 में हिंदी साप्ताहिक 'बुरांस' का और वर्ष 1989 में गढ़वाल़ी भाषा के मासिक पत्र 'मंडाण' का प्रकाशन;

(२). उक्त गढ़वाल़ी मासिक 'मंडाण' के संकल्पनाकार और कार्यकारी संपादक;
(३). वर्ष 1980 में प्रकाशित गढ़वाल़ी के आठ कवियों के कविता संकलन 'धै' का अपने तीन अन्य सहयोगियों (स्व.) विनोद उनियाल़, पराशर गौड़ और लोकेश नवानी के साथ संपादन-प्रकाशन; और
(४). गढ़वाल़ी और हिंदी की कई पुस्तकों और कुछेक सामाजिक संगठनों की
स्मारिकाओं का संपादन ।

(ग). अनु्वाद कार्य :


(१). हिंदी-अंग्रेजी तथा गढ़वाल़ी-हिंदी अनुवाद का अनुभव; और
(२) श्रीमद्भागवद्गीता का गढ़वाल़ी में काव्यानुवाद(जारी है) ।

(घ). संगठन कार्य:
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(१) अस्सी के दशक में दिल्ली में गढ़वाल़ी की महत्वपूर्ण साहित्यिक संस्था 'गढ़भारती' के पहले, साहित्य-सचिव और तत्पश्चात
 महासचिव भी रहे;और
(२). वर्ष 1975-76 से 2012-13 तक दिल्ली और ग़ाज़ियाबाद में उत्तराखंड मूल के लोगों की कुछ स्थानीय सामाजिक संस्थाओं में विभिन्न पदों पर सक्रिय भागीदारी ।

(ड०). अन्य कार्य:


(१) सत्तर के दशक के उत्तरार्द्ध के वर्षों में दिल्ली की अपनी सामाजिक संस्था उत्तराखंड जन कल्याण परिषद, लारेंस रोड(अब केशवपुरम) की रामलीला में राम का अभिनय; और

(२) पुस्तक व पत्र-पत्रिका प्रकाशन, सांस्कृतिक कार्यक्रमों/कवि सम्मेलनों और संगोष्ठयों के लिए कार्यक्रम-निर्माण व संचालन का अनुभव ।