Last modified on 17 अगस्त 2020, at 11:50

उपमेय / सुरेन्द्र डी सोनी

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:50, 17 अगस्त 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= सुरेन्द्र डी सोनी |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

कालिदास से लेकर अब तक
चाँद से इतनी बार ढका है
तुमने मेरा चेहरा
कि मैं ग्रहण की शिकार धरती-सी
जान ही न पाई अपना चेहरा...

उपमाएँ कितनी बेरहमी से
ख़त्म कर देती हैं उपमेय का सौन्दर्य..!