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मेरे शब्द / महमूद दरवेश

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जब मिट्टी थे मेरे शब्द मेरी दोस्ती थी गेहूँ की बालियों से

जब क्रोध थे मेरे शब्द ज़ंजीरों से दोस्ती थी मेरी

जब पत्थर थे मेरे शब्द मैं लहरों का दोस्त हुआ

जब विद्रोही हुए मेरे शब्द भूचालों से दोस्ती हुई मेरी

जब कड़वे सेब बने मेरे शब्द मैं आशावादियों का दोस्त हुआ

पर जब शहद बन गए मेरे शब्द मक्खियों ने मेरे होंठ घेर लिए


(अनुवाद : गीत चतुर्वेदी)