Last modified on 21 अगस्त 2020, at 09:19

अभिनय / गण्डकीपुत्र / सुमन पोखरेल

Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:19, 21 अगस्त 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= गण्डकीपुत्र |अनुवादक=सुमन पोखरे...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

छुप जाते हैँ सब कुछ
जहर रखेँ या अमृत
जीवन रखेँ या मृत्यु
पर्दा लग जाने के बाद
बाहर से कुछ दिखाई नहीं
दिखाई देता है सिर्फ पर्दा ।
जिस तरह पोटली के अन्दर
मांस डाल कर चलने पे भी
सत्तु डाल कर चलने पे भी
दिखाई देती है सिर्फ पोटली
वैसा ही है पर्दा लगना भी ।
 
मुझे कहीं भी दिखाई नहीं दिया
पर्दा न लगा हुवा एक भी चेहरा
आइने समाने खडे हो कर
खुद को देखते हुए भी
पर्दा नजर आता है मुझे
अपना चेहरा दिखाई देने से पहले ।