मत छुओ इस झील को। कंकड़ी मारो नहीं, पत्तियाँ डारो नहीं, फूल मत बोरो। और कागज की तरी इसमें नहीं छोड़ो। खेल में तुमको पुलक-उन्मेष होता है, लहर बनने में सलिल को क्लेश होता है।