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मुए केंचुए / शशिकान्त गीते

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बदला मौसम नई हवाएँ
कैसे-कैसे रोग

मंन्दिर-मस्जिद अगड़े-पिछड़े
रोज़-रोज़ के बलवे-झगड़े
रोटी कहीं छिपी दम साधे
भूखे दुर्बल लोग

पृथक प्रदेश देश के नारे
नक्सल, आतंकी बंजारे
संकट विकट कोढ़-खुजली का
प्राणांतक संजोग

वादे करते स्वप्न बाँटते
प्रश्न घेरते थूक चाटते
मुए केंचुए ख़ूब जानते
शब्दों का उपयोग