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अपनी कार / प्रभुदयाल श्रीवास्तव

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चलो चलाएँ अपनी कार।
इसमें घूमेंगे संसार।

अपनी कार अनोखी है।
यह रुपए दो सौ की है।
इसमें बैठें चार सवार।

चलती तो चलती जाती।
ब्रेक लगे तो रुक जाती।
पर्वत नदिया करती पार।

दादा दादी आ जाएँ।
अम्मा बापू भी आएँ।
उन्हें घुमा लाऊँ बाज़ार।