यही इक जुर्म है ऐ मेरे हमदम
के मैं खुशबू को खुशबू बोलता हूँ
तेरी आँखों को देखा था किसी दिन
उसी दिन से मैं उर्दू बोलता हूँ
यही इक जुर्म है ऐ मेरे हमदम
के मैं खुशबू को खुशबू बोलता हूँ
तेरी आँखों को देखा था किसी दिन
उसी दिन से मैं उर्दू बोलता हूँ