अपनी ही तरक़्क़ी से मिटा जाता है।
अपने ही लिए खदशा बना जाता है
हर शख्स कि औरों को मिटाने के लिये
अपना ही शिकार आप हुआ जाता है।
अपनी ही तरक़्क़ी से मिटा जाता है।
अपने ही लिए खदशा बना जाता है
हर शख्स कि औरों को मिटाने के लिये
अपना ही शिकार आप हुआ जाता है।