रह रह कर आती है दिल में इक बात
किस के बस में हैं अपने ही हालात
किस सागर में करेगी जा कर विश्राम
जीवन की नदिया बहती है दिन रात।
रह रह कर आती है दिल में इक बात
किस के बस में हैं अपने ही हालात
किस सागर में करेगी जा कर विश्राम
जीवन की नदिया बहती है दिन रात।