इंसान की उम्मीद के लटके देखो
देती है उसे क्या क्या झटके देखो
गर देखना हो गुल ये खिलाती है क्या
उम्मीद को उम्मीद से हटके देखो।
इंसान की उम्मीद के लटके देखो
देती है उसे क्या क्या झटके देखो
गर देखना हो गुल ये खिलाती है क्या
उम्मीद को उम्मीद से हटके देखो।