Last modified on 7 सितम्बर 2020, at 14:18

गुडमार्निग सूरज / शार्दुला नोगजा

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:18, 7 सितम्बर 2020 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

सुबह उठी तो ये क्या देखा
वान गो की पेंटिंग जैसा
सूर्यमुखी का पीलापन ले
आज निखर आया है सूरज!

शाम लगाई डुबकी जल में
और बादलों से मुँह पोंछा
लाली लगा कमलदल वाली
कितना इतराया है सूरज!

आजा तुझ को मजा चखाऊँ
डुबो चाय में मैं खा जाऊँ
पा कर मेरे प्यार की झप्पी
कितना शरमाया है सूरज!

आज बांध कर चुन्नी में मैं
अमलतास पे लटका दूँगी
रंगोगे क्या जीवन सबके
सुन क्यों घबराया है सूरज!

७ नवम्बर ०८