Last modified on 14 सितम्बर 2020, at 02:09

लिखिए आज / सपन सारन

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:09, 14 सितम्बर 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= सपन सारन |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}}...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

अगर अभी नहीं लिखोगे
तो कभी नहीं लिखोगे
आप ।

और आने वाली पीढ़ियाँ समझ जाएँगी
कि हज़ारों की तरह या तो गूंगे थे
आप ।
या तलवारी-हमलावर थे
आप ।
दोनों ही स्थितियों में — कुछ नहीं थे
आप ।

हाँ, अगर लिखकर मरे
तो तब तक ज़िन्दा रहेंगे
आप,
जब तक काग़ज़ के क़त्ल के जुर्म में
सज़ा-ए-मौत ना मुक़र्रर की जाए
आपको ।
या क्या पता किसी बड़े साहित्यिक इनाम
का नाम रखा जाए
नाम पर
आपके ।

लेकिन ये जानने के लिए
कि क्या होगा
आपका ।
लिखिए ।
आज ।

क्यूँकि ख़ून आज बह रहा है ।
और लाल रंग में रंगे बिना
अप्रासंगिक हैं
मैं और
आप ।