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पंख निराले / सुरेश विमल

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परियों वाले पंख निराले
अगर मुझे मिल जाएँ
झूम झूम कर उडूं गगन में
सभी चकित रह जाएँ।

मिलूं लपक चंदा मामा से
तारे चुनचुन लाऊँ
आसमान की अद्भुत बातें
मित्रों को बतलाऊँ।

शिखर पर्वतों के फिर मुझ को
कंधों पर बिठलाएँ।

जब चाहूँ झरनों का
ठंडा मीठा जल पी आऊँ।
जब चाहूँ ऊंचे पेड़ों की
डालों पर सो जाऊँ।

पत्ते पंखे झले
पखेरू मीठे गीत सुनाएँ।