Last modified on 14 सितम्बर 2020, at 23:39

नदी किनारे / सुरेश विमल

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:39, 14 सितम्बर 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुरेश विमल |अनुवादक= |संग्रह=कहाँ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

नन्हे मुन्ने भर किलकारी
दौड़ लगाएँ नदी किनारे
रच रच कर गीली मिट्टी के
महल बनाएँ नदी किनारे।

सुबह सवेरे लोग हजारों
रोज नहाए नदी किनारे
पाखी अपना मीठा कलरव
खूब सुनाएँ नदी किनारे

पनिहारिन भरने को पानी
गागर लाएँ नदी किनारे
एक टांग पर बैठे बगुले
मछली खाएँ नदी किनारे।

धोबी कपड़े धोएँ धप धप
और सुखाएँ नदी किनारे
बस्ती भर के सभी जानवर
प्यास बुझाएँ नदी किनारे।

ढोने को मल्लाह सवारी
नाव चलाएँ नदी किनारे
समय-समय पर उत्सव मेले
रंग जमाएँ नदी किनारे।